Assam: मुख्यमंत्री सरमा ने बांग्लादेशी मुस्लिमों के सामने रखी ये शर्तें, कहा- तभी माना जाएगा असम के मूल निवासी
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Assam: मुख्यमंत्री सरमा ने बांग्लादेशी मुस्लिमों के सामने रखी ये शर्तें, कहा- तभी माना जाएगा असम के मूल निवासी

Assam News: हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, ‘यह उनके और राज्य के मूल लोगों के बीच अंतर हैं. यदि वे इन प्रथाओं को छोड़ सकते हैं और असमिया लोगों की संस्कृति को अपना सकते हैं, तो किसी समय वे भी स्वदेशी बन सकते हैं.’

Assam: मुख्यमंत्री सरमा ने बांग्लादेशी मुस्लिमों के सामने रखी ये शर्तें, कहा- तभी माना जाएगा असम के मूल निवासी

Himanta Biswa Sarma: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शनिवार को बांग्लादेश मूल के बंगाली भाषी मुसलमानों (जिन्हें ‘मियां’ के नाम से जाना जाता है), को राज्य के निवासी के रूप में मान्यता देने के लिए शर्तें रखीं. सरमा ने कहा कि उन्हें दो से अधिक बच्चे पैदा करने और बहुविवाह प्रथा बंद कर देनी चाहिए और अपनी नाबालिग बेटियों की शादी नहीं करनी चाहिए.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक सीएम सरमा ने कहा, 'यदि आप स्वदेशी कहलाना चाहते हैं तो अपने बच्चों को मदरसों में भेजने के बजाय उन्हें डॉक्टर और इंजीनियर बनने के लिए शिक्षित करें. उन्हें अपनी बेटियों को भी स्कूल भेजना शुरू करना चाहिए और उन्हें अपने पिता की संपत्तियों पर अधिकार देना चाहिए.’

सरमा ने कहा, ‘यह उनके और राज्य के मूल लोगों के बीच अंतर हैं. यदि वे इन प्रथाओं को छोड़ सकते हैं और असमिया लोगों की संस्कृति को अपना सकते हैं, तो किसी समय वे भी स्वदेशी बन सकते हैं.’

राज्य में मुस्लिमों की कितनी आबादी?
रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में, असम कैबिनेट ने राज्य के लगभग 40 लाख असमिया-भाषी मुसलमानों को, जिनके पास बांग्लादेश से प्रवास का कोई इतिहास नहीं है, ‘स्वदेशी असमिया मुसलमानों’ के रूप में मान्यता दी थी.

हालांकि, राज्य में मुस्लिम आबादी का एक बड़ा हिस्सा बांग्लादेश मूल के प्रवासियों का है. असमिया भाषी स्वदेशी मुस्लिम कुल मुस्लिम आबादी का लगभग 37% हैं, जबकि प्रवासी बंगाली भाषी मुस्लिम शेष 63% हैं.

कैबिनेट द्वारा अनुमोदित 'स्वदेशी' असमिया मुसलमानों में पांच समूह शामिल हैं - गोरिया, मोरिया, जोला (केवल चाय बागानों में रहने वाले), देसी और सैयद (केवल असमिया भाषी).

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